सदियां बीत गयी लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वो है स्त्री के अस्तित्व की लड़ाई। सदियों से स्त्री की भोग विलास की वस्तु समझते आ रहें हैं , हालांकि बहुत सी वीरांगनाओं ने अपनी प्रतिभा से खुद को साबित किया है। अपने अस्तित्व के साथ सभी नारियों के अस्तित्व की रक्षा की है परन्तु वर्तमान में तो हालात बद से बद्तर हो चले हैं। अब तो कन्या भ्रूण हत्या का नया चलन चल गया है। आजकल तो लोग अत्याधुनिक वैज्ञानिक तकनीक से कोख में पल रहे बच्चे का लिंग पता करवा लेते हैं और उन्हें जैसे ही पता चलता है कि उनके होने वाले बच्चे का लिंग स्त्रीलिंग है तो वो उसे कोख में ही मार देते हैं। गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति पर भारत में 1971 में निश्चित शर्तो के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया था और अभी हाल में ही 1971 के गर्भावस्था समाप्ति के कानून के संसोधन की भी मंजूरी दी गई है। खास बात ये है कि इतना सबकुछ होने के बाद भी कन्या भ्रूण हत्या का धंधा जोरों पर है। सारे डाॅक्टर अपने अस्पताल में मोटे अक्षरों में लिखवाकर रखते हैं कि उनके यहां लिंग की जांच कराना मना है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। आज भी कई अस्पतालों में धड़ल्ले से लिंग की जांच के साथ कन्या भ्रूण हत्यायें हो रही हैं। मैं खुद गवाह हूं इस घिनौनी सच्चाई की।कई बार देखा है अपने आसपास इस घिनौने कृत्य को होते हुए। कई बार कोशिश भी की विरोध में आवाज उठाने की और उठाई भी मगर समाज के कुछ बड़े लोगों ने अपनी पहुंच से मेरी आवाज़ दबा दी परन्तु मेरे प्रयासों में कभी कमी नहीं आयेगी। मेरी एक सहेली ने मुझे बताया कि उसके चाचा के एक लड़की थी और दूसरा बच्चा उन्हें लड़का चाहिए था जिसके लिए उन्होंने लगातार 3 कन्या भ्रूण हत्यायें की 😭 और आखिर में हारकर अस्पताल में बच्चा बदल लिया। मुझे ये सुनकर तब ज्यादा हैरानी हुई जब पता चला कि इन सब कुकृत्यों में बच्चे की मां की सहमति ज्यादा थी। इस घटना के कुछ दिन बाद ही उसने मुझे बताया कि उसके छोटे चाचा ने भी वहीं घटनाक्रम दोहराया 😡। मैं स्तब्ध थी कि ये सब हो करता रहा है । फिर हम दोनों ने मिलकर उस डॉक्टर का पता लगाने की बहुत कोशिश की ताकि हम उसके खिलाफ कार्रवाई करवा सके।हम इस कार्य में सफल होने ही वाले थे कि हमारे सामने ऐसा सच आया जिसकी हम सपनें में भी कल्पना नहीं कर सकते थे, मेरी सहेली के पिता इन सब में शामिल थे । उन्होंने हम-दोनों को धमकी दी कि हम कुछ न करें और मेरे घर पर भी शिकायत की मेरी और ये सिलसिला वहीं रुक गया मगर मेरे प्रयास जारी रहेंगे। मैं जानती हूं कि जितनी देर में मैं यह लेख लिखूंगी उतनी देर में हजारों बच्चियां काल के गाल में चली जायेंगी और अगर कोख से बच आयीं तो समाज के कुछ दरिंदों के हाथों बलि चढ़ जायेंगी क्योंकि आजकल तो बच्चियों का गैंगरेप जोरों पर है और सरकारें चुप बैठी रहती हैं चुनाव आने तक। खैर मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि हमें अपने अस्तित्व के लिए खुद ही आवाज उठानी होगी और जब तक एक नारी दूसरी नारी के प्रति दयावान नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो सकता। सभी नारियों को एक-दूसरे को सम्मान और सहयोग देना ही इस समस्या का समाधान है। धन्यवाद ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््
आज दुबई में आईपीएल मैचों की शुरुआत हो चुकी है जहां पहला मैच मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच होना था। जहां सभी इस मैच को मनोरंजन के रूप में देख रहे है वही हम स्पोर्ट्स ऑवर की तरफ से कुछ विशेष घटनाओ पर चर्चा करेंगे। आईपीएल 2020 संस्करण के शुरुआती खेल में एमएस धोनी की अगुवाई वाली टीम चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके), और डिफेंडिंग चैंपियन रोहित शर्मा की अगुवाई वाली मुंबई इंडियंस (एमआई) के लिए भी ऐसा ही कुछ हुआ।मैच की शुरुआत में सिक्का टॉस जीतने के बाद, एमआई के सलामी बल्लेबाजों ने उड़ान की शुरुआत की। हालांकि, अबू धाबी में विपक्ष की प्रगति को पटरी से उतारने के लिए पीयूष चावला, सैम क्यूरन और रवींद्र जडेजा ने नियमित रूप से सफलता का हिसाब लगाया। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान फाफ डु प्लेसिस के मैदान में विद्युतीकरण की प्रक्रिया में सीएसके के विकेट लेने वालों की मदद की गई।36 वर्षीय, MI की पारी के दौरान चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाडी लाडिंग डु प्लेसिस तीन शानदार कैच लेकर लौटे, अपनी जबरदस्त फिटनेस से सीमा की रस्सी पर मन की उपस्थिति को प्रदर्शित किया। अपने क्षेत्ररक्षण के लिए लाडिंग डु प्लेसिस, जिसने सीएसके को खेल में वापस ला दिया और एमआई को 9 के लिए 162 तक सीमित कर दिया, फ्रेंचाइजी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने अपने नवीनतम पोस्ट पर लिखा, "ईमानदारी से, यकीन नहीं होता कि यह पहला लड्डू या दूसरा लड्डू था। ..लेकिन लड्डू के लड्डू का भोग! # भोले ने हमें खेल में वापस ला दिया!इस मैच को विस्तार से जानने क लिए आप Sportshour वेबसाइट पे जा सकते है। जहां हमारे स्पोर्ट्स लेखक आपको पूरी और सच्ची न्यूज़ देने क लिए दिन रात जागरूक रहते है, sports hour हिंदी न्यूज़ वेबसाइट है। जिसके कारण आपको इसे समझने में आसानी होगी।
भारत में मशहूर व एक त्यौहार की तरह मनाया जाने वाले PL 2020 की शुरुआत हो गयी 13 वा सन का आईपीएल जिसकी खेले जाने की उम्मीद covid -19 में नामुमकिन थी अब 2 दिन बाद 19-9-2020 को दुबई में खेला जाने वाला हैं भारत में आईपीएल को कम समय में बेहतरीन बल्लेबाज़ और गेंदबाजी के लिए पसंद किया जाता हैं वही इसका दूसरा रूप सट्टेबाज़ी वाला भी है जो आज के युवकों में बड़ी जोर शोर में अपनी जगह बना रहा है। तेज़ी से पैसा कमाने की लालच में आज के युवको को सट्टेबाज़ी और जुआ घर की तरफ ले जा रही है। जिसको रोकने के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड bcci ने ब्रिटेन में स्थिति कंपनी स्पोर्ट्स रैदार के साथ करार किया हैं जो धोखाधड़ी जांच प्रणाली fdsk के जरिये सेवाएं देगी। IPL का 13 वा स्तर covid-19 के कारण खाली स्टेडियम में खेला जा रहा है ऐसे में bcci की और से अजित सिंह के लिए ACU के साथ मिलकर भ्रष्टाचार और सट्टेबाज़ी को रोकना एक बड़ी चुनौती है.कुछ समय पहले गँवा में खेले गए फुटबॉल लीग में स्पोर्टरडार कि अहम भूमिका के कारण उन्हें ipl 2020 में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए स्पोर्टरडार को चुना गया स्पोर्ट्स रैदार ने फूटबाल लीग के आधा दर्जन मैचों को संदेय के घेरे मे रखा और स्पोर्टरडार ने FIFA, UAF, और विश्व भर की विभिन्न लिग के साथ काम किया है।स्पोर्टरडार का मानना है की वह मैचों के दौरान होने वाले धोखाधड़ी जांच प्रणाली FDS एक विशेष सेवा है, जो सट्टेबाज़ी से संबंधित हेराफेरी का पता लगाती हैं और यह इस्सलिय भी संभव हो पता हैं क्योंकि अब FDS के पास मैच फिक्सिंग के उद्देश्य से लगाई जाने वाली बोलियों को समझने के लिए उपयुक्त साधन हैं IPL 2020 में खेले जाने वाले हर मैच की जानकारी आप सब को Sports Hour वेबसाइट पे मिल जाएगी जहां हमारे सभी लेखक आपको मैचों से जुड़ी जानकारी अपने आर्टिकल के माघ्यम से देंगे आप Sportshour पर मैचों के अलावा खिलाड़ियों के जीवन में घट रही सभी अच्छी और बुरी घटनाओं का अध्ययन कर सकते हैं
मैं मांस खाता हुं, मैं मांसहारी हूँ , मैं नहीं मानता कि मांस खाना कोई बुरी बात है ।जो लोग जीव हत्या के तर्क देते हैंं , मॆं उनसे कतई सहमत नहीं।ईद के दिन अगर गोश्त का रिवाज चले, तो उसमें भी कोई हरज नहीं। जो लोग किसी बहाने किसी के गोश्त खाने का विरोध करें, मुझे स्वीकार नहीं ।लेकिन अगर कोई ईद के दिन कुरबानी के नाम पर इसलिए गोश्त खाए या कुरबानी करें कि वो कोई पुण्य कमा रहा हॆ, मेरे हिसाब से बेवकूफी होगी।किसी के कुछ खाने या गोश्त खाने या न खानें से खुदा खुश होगा, यह मात्र भ्रम हॆ ।इसलिए ईद के दिन आपकाअधिकार हॆ कि आप गोश्त खाए या न खाए ,लेकिन आप यह सोच कर किसी जानवर को काटे जा रहे हो कि इससे आपका रब राजी हो रहा हॆ, यह एक बेवकूफी होगी।लोगों का एक वर्ग बड़े गॆर जिम्मेदाराना अन्दाज से जीव हत्या मे आरोप मुस्लमानो पर लगा रहा हॆ, लेकिन उनको यह स्वीकार करने मे तकलीफ होती हॆ कि जीव हत्या का यह काम आपके समाज या अन्य धर्मों में कहाँ कम हॆ।असल में इन लोगों को जीव हत्या से मतलब नहीं बल्कि इनको मतलब माहोल को खराब करने से होता हॆ । क्या आप यह नहीं जानते कि भारत मे कुल 80% लोग मांसहारी हॆं, जिसमें 25% तो बेचारे मुसलमान जीव हत्यारे हुए, बाकि 75% को मांस शायद पेड़ो पर मिलता हॆ???पिछले कुछ वर्षों में जैसे जैसे ईद उल अजहा नजदीक आने लगती है तो यह मुद्दा बड़े जोरशोर से उठने लगता हैं। लोगों के मन में जीव प्रेम जागने लगता है । आश्चर्य तो तब होता है जब वो लोग जीव प्रेम की पेरवी करते दिखते हैं जिनके घर सप्ताह में दो तीन बार मांस जरूर पकता है । इन भाइयों के अपने तर्क भी जोरदार होते हैं । मुझे एक सजन मिले ,उनके भी अपने तर्क थे। उन्होंने ने मुझे बड़ी उत्सुकता से पूछा - क्यों जी खान सा ईद कब है ? मैंने कहा - जी दस दिन बाद है। बस फिर भाई साहब शुरू हो गए , उन की एक एक बात में जीवों के प्रति दया भरी थी , उन्होंने ने जीव हत्या के सैकड़ों पाप गिना लिए ,दो चार श्लोक भी ठोक दिए , और साथ साथ मुझ से यह अपेक्षा भी कर बैठे कि इस ईद पर तचम हरगिज ऐसा ना करना।मैने भी हां हां कर दिया।मैने बात को कुछ घुमाया ,कुछ ईधर ऊधर की हांकी । फिर मैने भी एक सुझाव उछाला ,क्यों ना एक दिन मिल बैठ के खा पी लें ? भाई साहब को सुझाव अच्छा लगा , धीरे से हां कह दी ,मैने आगे कहा - खर्चा वर्चा मैं कर लूंगा । बस आप तो मीनूं और दिन की बात करें ।भाई साहब तपाक से बोले - बस मंगलवार ना ।मैने कहा - मंगलवार नहीं ? वो क्यों ?भाई साहब बोले - यार वो क्या है ना ,मंगलवार को हमारे नांनवैज नहीं चलता ।बस आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। आप खुद (पाठकगण) समझदार हो , जो बंदा मुझे जीव प्रेम का उपदेश दे रहा था , उसको मंगलवार के अलावा मीनूं में नांनवैज चाहिए।मुद्दा अगर जीव प्रेम का हो तो मैं सहमत हूँ लेकिन मुद्दा जब ईद केदिनही जीव प्रेम का हो तो फिर बात अलग है।आखिर लोगों को हर रोज की जीव हत्या नज़र क्यों नहीं आती ? सिर्फ़ ईद के दिन ही सब का जीव प्रेम क्यों जाग जाता हैं।क्या यह समझ नहीं आता की जितनी भी मवैसी बिकती है वो सीधे बूचडख़ाने जाती हैं , क्या यह समझ में नहीं आता कि जो दुकानों में मीट बिक रहा है वो गोबी टमाटर की तरह बगीचे से सीधा सप्लाई नहीं होता है , इन सबके पीछे जीव हत्या है ,ये क्यों नहीं समझ मेंं आता ?समझ हरेक की अपनी अपनी होती हैं लेकिन में सभी से निवेदन करुंगा कि शाकाहार बेशक बैहतर है ,उसको बढाया जाना चाहिए , लेकिन मानव सभ्यता की कहानी से साबित है कि मनुष्य के लिए मांसाहारी होना कहीं कोई अनुचित या अमानवीय नहीं है।एक व्यक्ति अपने आपको पूर्ण शाकाहारी बनाए रखे ,यह अच्छी बात है , लेकिन किसी का पूर्ण शाकाहारी न रह पाना कोई बुराई नहीं है। लेकिन फिर भी मैं मानता हूँ कि जो लोग पूर्ण शाकाहारी है , वे एक दर्जा मांसाहारियों से उत्तम है।लेकिन मुद्दा यह नहीं है ,मुद्दा यह है कि जिनके घर सिर्फ मंगलवार को ही मांसाहार पर पाबंदी है ,उनको ईद के दिन मुसलमानों के मांसाहार से तकलीफ है। तब यह कहना पड़ता है कि मुसलमानों को भी मांस खाने का अधिकार है । कम से कम उन बंधुओं से निवेदन रहेगा कि जो खुद मांस खाते हैं ,चाहे किसी भी धर्म या क्षैत्र के हो ,उन्हें ईद की कुर्बानी के खिलाफ प्रोपेगैंडा नहीं करना चाहिए., रहीम नादान
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Start date: 6th March 2018
End date: 30th April 2018
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