“ अच्छा लगे तो स्वीकार करो ,बुरा लगे तो नज़र अंदाज़ करो “ डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “ ==================================साहित्यिक परिचर्चाओं में शालीनता का महत्व होता है ! मतांतर वहाँ भी व्याप्त होते हैं ! समीक्षा और विश्लेषण का दौर चलता है ! परंतु सब शिष्टाचार के परिधि में प्रदक्षिणा करते नजर आते हैं ! और इसका पटाक्षेप भी शिघ्राति -शीघ्र हो जाता है ! भाषा ,शब्दावली और अंदाज अधिकांशतः कर्णप्रिय होते हैं !पर राजनीति की परिचर्चा शीघ्र ही महाभारत का रूप ले लेता है ! विचित्र – विचित्र शब्दों का प्रयोग होने लगता है ! जब कभी किसी ने अपने विचारों को शालीनता से लोगों के समक्ष रखना चाहा ! उसकी बातों को ना देखा ना पढ़ा नाहीं मनन किया और उनके विरुद्ध अग्नि वर्षा करने लगे ! अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर -करके अपनी छवि ही नहीं समस्त विचारधाराबिलम्बिओं की छवि को वे धूमिल करने लगते हैं !हम यदि गौर से उनलोगों का अवलोकन करेंगे तो इस तरह के लोग हरेक समुदायों में पाए जाते हैं ! पर यह कहना अनुचित नहीं होगा कि ऐसे महारथी विशेषतः एकमात्र प्रजाति के लोग ही हैं जिनकी भाषाएं ,जिनका शब्द और अगरिमामयी भंगिमा से लोगों को स्तब्ध कर जाते हैं ! गाली -गलोज के अमोघ -अस्त्रों का प्रयोग करते हैं ! उनके गाँडीवों में अशुद्ध शब्दों का भंडार है ! उन्हें सारा विश्व असभ्य कहने से कभी कतराते नहीं हैं !चलो मान लिया सबके अपने -अपने विचार होते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करना हमारा मौलिक अधिकार है ! आलोचना नहीं होगी तो लोग निरंकुशता के चोलों को पहन लेंगे ! ऐसे विचारधाराओं के लोगों से ना जुड़ें जिनके विचार में सामंजस ना हो ना सम्मान हो ! विचारों के मेल से ही मित्रता फलती -फूलती है ! दो ग्रहों के प्राणी कभी एक साथ रह नहीं सकते ! और रहना है तो इस मंत्र को ना भूलें “ अच्छा लगे तो स्वीकार करो ,बुरा लगे तो नज़र अंदाज़ करो !“===========================डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”साउंड हेल्थ क्लिनिकएस .पी .कॉलेज रोडदुमकाझारखंडभारत
” कभी -कभी हम अपनों को भी आहत करते हैं “ डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”===========================इन यंत्रों का कमाल तो देखिया …फेसबुक के रंगमंच पर एकबार हमारे पाँव क्या जम गए …हम तो ‘अंगद ‘ बन गए ..!….आखिर यह तो हमारा अपना ‘रणक्षेत्र ‘ .है …..हम इसके धनुर्धर हैं ! ……हमें कौन रोक सकता हैं ….?…कौन टोक सकता है ..? …..अपने अस्त्र और शस्त्रों को हम अपने गांडीव में ही रखना जानते हैं ..इसके प्रयोग की कला तो हमने सीखी ही नहीं ..और ना ही स्वतः प्रयत्न ही किया !…… लोगों के अस्त्रों को चुराकर फेसबुक के रणक्षेत्र पर आक्रमण करते रहते हैं …मित्रों की सूची बड़ी लम्बी बन गयी है ! …..हमारे प्रहारों को झेलें अथवा ना झेलें ..या रणक्षेत्र छोड़ भाग जाएँ ..हमें क्या ?..यह फेसबुक के पन्ने जो हमारे हैं ..वो हमारे ही हैं ! ….भले हम विदूषक बनके अपने ही ताल पर नाचते रहें ..सारे दर्शक हमारी अवहेलना ही क्यों न करे ..पर हम नाचेंगे ..गायेंगे ….और ….वेढंग पोस्टों से लोगों को आहत करते रहेंगे …! …मित्र बनना आसान है पर इसके साथ हमें मनोविज्ञानिक विश्लेषक भी बनना होगा ! ……अपने फेसबुक के पन्नो पर ‘भांगड़ा ‘करें …कत्थक नृत्य करें …कोई फर्क नहीं पड़ता .है ,.परंच इसी प्रक्रिया को जब हम massenger और whatsapp पर लगातार दुहराते हैं ..तो हम मनोविज्ञानिक विश्लेषण के आभाव में अपने मित्रों की पसंद को अनदेखी कर देते हैं …हमारे पास ऐसे -ऐसे मांगे हुए अस्त्रों का जखीरा है ..उसे हमारे मित्र सह नहीं पाते ! …. हमने सहस्त्रों मित्रों को massenger और whatsapp पर जोड़कर रखा है !..पर इन्हीं कारणों से हमारे पोस्टों को पढ़ते नहीं ..सिर्फ उसे मिटा देते हैं ! हम जब इन बातों को समझ नहीं पाते और massenger और whatsapp में तंग करना प्रारंभ कर देते हैं तो आहत होकर हमें ब्लाक कर देतें हैं !..हमने तो अब सोच रखा है ..अपने ही फेसबुक के टाइम लाइन पर अपना ‘ लोक नृत्य ‘ करेंगे ..लोगों को आहत ना करेंगे !=====================================डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”दुमका
“फेसबूक के सेलेब्रिटी”डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “====================कितने मशक्कतों के बाद दोस्ती की बयार बहती थी ! बचपन के दोस्त ,स्कूल के दोस्त ,गाँव मुहल्ले के दोस्त ,खेल -कूद के दोस्त ,कॉलेज के दोस्त और अपनी नौकरी के दोस्त का सामना होता था ! एक बात तो साधारणतः एक जैसी होती थी ! हम प्रायः -प्रायः हम उम्र होते थे ! हमारे ख्याल एक जैसे हुआ करते थे और यदि थोड़ा सा विभेद का समावेश की भनक आ गयी तो समझ लें मित्रता अपनी पगदंडियों से फिसल गयी ! उम्र के आलवे हमारे विचार मिलते -जुलते होते थे ! आपसी सहयोग की भावना सदा ही पनपती रहती थी ! हमारा मिलना -जुलना सदैव निर्धारित रहता है ! अपने मित्रों के बीच गोपनीयता का मंत्र गूँजता था ! हम मनोरंजन से सराबोर रहते थे ! हमें एक दूसरों की चिंता रहती थी ! आखिर उसके अनुपस्थिति का कारण क्या है ? हम उसकी खोज -खबर लेने उसके घर पहुँच जाते थे ! अधिकाशतः यह मित्रता आजन्म तक रहती है !यह बात तो माननी पड़ेगी कि डिजिटल मित्रता रेत के टील्हे पर खड़ी एक इमारत की जैसी है जो एक झटके में अपना अस्तित्व मिटा देती है ! यहाँ ना उम्र की सीमा है ! किसी से आप शीघ्र जुड़ सकते हैं ! आपके विचारों की समानता ,सहयोग की भावना ,मिलना -जुलना और गोपनीयता के मापदंडों की अपेक्षा आप सपनों में भी नहीं कर सकते हैं ! और यही एक कारण विद्यमान है कि जितने तीव्र गति से आप फेसबूक के पन्नों पर एक के बाद एक मित्र बनाते चले जाते हैं उतने द्रुत गति से आपके मित्र बदलते चले जाते हैं ! विचारों का युद्ध हमें मित्र नहीं रहने देती ! कालांतर में उन्हें हम अनफॉलो ,अनफ्रेंड और ब्लॉक करते हैं !फिज़िकल फ्रेंडशिप में रूठने -मनाने की बातें होती है पर डिजिटल फ्रेंडशिप में आपके लिखित शब्दों को कोई नहीं भूल पाता है ! यहाँ अनफॉलो ,अनफ्रेंड और ब्लॉक की भाषा सब जानते हैं और शायद ही बिछुड़े दोस्तों से कोई मिलने की इच्छा रखता हो !हमें यह भलीभाँति ज्ञात है कि डिजिटल मित्रों में कई सेलेब्रिटी ,कई महान गायक ,कई महान कवि ,उच्च कोटि के लेखक ,संगीतकार ,पत्रकार ,संवाददाताओं का जमावड़ा है ! अधिकाशतः लोग इस भ्रम में जी रहे हैं कि हमारी गतिविधियों को लोग अवलोकन करे ! हमारी कृतिओं भलीभाँति लोग पढ़ें ,नृत्य की भंगिमाओं को निहारें ,हमें जो सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया है उसकी तारीफ करें ! हमारी हवाई यात्रा ,विदेश भ्रमण ,हमारे गीत ,हमारा संगीत ,हमारी लेखनी इत्यादि को आपलोग देखें और हमारा प्रमोशन करें और तारीफ करें !अकर्मण्यता के बोझ तले अधिकाशतः लोग दबे पड़े हैं पर हमें यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि आखिर यह छुआ -छूत का संक्रामक हमारे कोरोना महामारी से बढ़कर है और इसके इन्जेक्शन का खोज अभी तक हो नहीं पाया है ! इस रोग को हम सबको मिलकर मिटाना होगा ! सेलेब्रिटी के साथ -साथ हरेक का कर्तव्य है कि लोगों से जुड़कर रहें और यदा कदा संवाद स्थापित रखें !!====================डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “साउंड हेल्थ क्लिनिकएस ० पी ० कॉलेज रोडदुमकाझारखंडभारत08.08.2022.
” समय “डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”==============अक्सर लोगों की यह शिकायत रहती है कि समय उनको मिलता नहीं ..दिनभर काम ही काम ..सुबह उठते हैं ..बच्चों को तैयार करते हैं ..ऑफिस में शाम तक लगे रहते हैं ..घर का काम..बच्चों के होम वर्क को देखना पड़ता है ! ऐसी शिकायतें प्रायः -प्रायः सभी वर्गों से सुनने को मिलती हैं !पर यह भी बातें गौर करने वाली है कि हरेक व्यक्ति अपने अपने व्यक्तिगत “हॉबी और एक्स्ट्रा- कर्रिकुलर “और “गेम्स -स्पोर्ट्स” के बन्धनों में बंधा रहता है ! ….“हॉबी” व्यक्तिगत विधा है जिसे अपनाकर मात्र आनंद का एहसास होता है …किताबें पढना ..संगीत सुनना …फोटो शूट करना ….फिल्म देखना ..प्राकृतिक अवलोकन ..कविता लिखना ..इत्यादि-इत्यादि !और …….”एक्स्ट्रा -कर्रिकुलर एक्टिविटी” की क्रिया सामूहिक मानी जाती है ..नाटक ..डिबेट ..डिस्कसन ..पिकनिक ..सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादि ! …..तीसरी विधा से भी हम प्रायः -प्रायः अछूते नहीं रह सकते ! वे हमारे “गेम्स और स्पोर्ट्स” हैं ! ….कोई क्रिकेट खेलता है ..कोई टेबल टेनिस ..हरेक व्यक्ति कुछ ना कुछ खेलों से जुड़ा रहता है ! …समय सबों को बराबर मिला है ..हमारे हाथों में २४ घंटे रहते हैं !हरेक व्यक्तिओं ने इन अनमोल क्षणों का सदुपयोग किया ! आज यदि हम अपने चारों ओर देखें तो हमें इतिहास के पन्नों को उलटने की जरुरत नहीं होगी ..सफलता उन्हें ही मिलती है जो समय का भरपूर सकारात्मक उपयोग करते हैं !मित्र तो लाखों हमने बना लिये पर हम संवादविहीनता की चादर को अभीतक ओढ़े हुए हैं ! कम से कम उनलोगों के लिए दरवाजा खोल दें जो निरंतर आपके दरवाजे को दस्तक दे रहे हैं !=============“है हमारे दिन गिनेइस धरा पे,कल न जाने हम यहाँ पर हो न हों !आज का क्षण क्यों ना स्वर्णिमहम बनालें ?इतिहास के पन्नों में क्यों नाअपना घर बना लें ?”@लक्ष्मण================डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”साउंड हेल्थ क्लिनिकएस ० पी ० कॉलेज रोडदुमकाझारखण्ड
“हम महान बनने की चाहत में लोगों से दूर हो जाएंगे “डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”======================================हमें महान बनने की ललक हो ना हो पर हमारी विभिन्य भंगिमा ही इस फेसबुक में दर्शाने लगती है कि हम भी महानता की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं ! जन्म दिन ,शादी की सालगिरह ,बच्चों का जन्म दिन ,गृहप्रवेश ,परीक्षाओं में सफलता ,सम्मान ,पारितोषिक ,समारोह ,उत्सव ,विदेश यात्रा ,हवाई यात्रा ,नये कारों की खरीददारी ,पुस्तक विमोचन ,कविता पाठ और न जाने कितने लम्हों का प्रदर्शन इस रंगमंच पर सबके सब करते हैं ! यहाँ तक कि प्रोफाइल तस्वीरों को यदा -कदा गूगल स्वयं फेसबुक के रंगमंचों पर उकेरता रहता है !हमारी इच्छाएं होती हैं कि अधिकांशतः फेसबुक से जुड़े लोग देखें ,लाइक करें और यथोचित उनकी बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि हमें खुलकर दें ! कुछ ही लोग होते हैं जिन्हें हम व्यक्तिगत रूप से जानते हैं ! अन्यथा सब के सब अनजान होते हैं ! उनकी भंगिमाओं और लेखनिओं से उनकी पहचान होती है !कोई हमें बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि करता है तो हमारी कंजूस भरी प्रतिक्रियाएं हमें अकर्मण्य करार कर देती है जो अक्सर संदेहों के घेरे में आ जाते हैं ! कहीं ये तो महान बनने के प्रयास में नहीं है ? बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि देने वाला पश्चाताप करने लगता है और फिर आनेवाले वर्षों में बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि देने से कतराते हैं !आभार और धन्यवाद को व्यक्त करने की विधाओं को भला कौन नहीं जानता है ? इस फेसबुक के पन्नों पर कुछ श्रेष्ठ हैं ,कुछ समतुल्य और कुछ कनिष्ठ हैं ! बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि जब वे लोग देते हैं तो हमें गर्व होना चाहिए कि हमें लोग प्यार करते हैं और सम्मान करते हैं ! श्रेष्ठों ने होसलाफ़ज़ाई की और हमने “थैंक्स “ कहकर निकल गए !भाषा कोई भी हो विश्व की सारी भाषाओं में शालीनता ,शिष्टाचार और मृदुलता के शब्द छुपे हैं ! हम प्रतिक्रिया स्वरूप व्यक्त नहीं करना चाहते ! आपकी व्यस्तता ,अकस्मिता और अकर्मण्यता आपको दूसरे की निगाहों में महान नहीं अभद्र बनाता है !बड़ों को लिखकर प्रणाम करें ! फोटो प्रणाम से आधी- अधूरी शालीनता छलकती है ! यहाँ तक समतुल्य और कनिष्ठ को भी हृदय से प्रतिक्रिया लिखें ! हम अत्यंत ही भाग्यशाली है जिन्हें श्रेष्ठ लोगों का सानिध्य प्राप्त हुआ ! श्रेष्ठ ही नहीं सारे लोगों के दिलों में बसना होगा अन्यथा “ हम महान बनने की चाहत में लोगों से दूर हो जाएंगे !! “======================डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”साउंड हेल्थ क्लिनिकडॉक्टर’स लेनदुमकाझारखण्डभारत
" मित्रों के पसंदों को अनदेखी ना करें "डॉ लक्ष्मण झा "परिमल "==========================जब हमारी पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं हैं तो भला हम फेसबुक से जुड़े सबलोग एक जैसे कैसे हो सकते हैं ? सबों की अपनी अपनी पसंद होती है ! किसी ने फेसबुक के पन्नों को अपना 'कर्म भूमि 'माना...किसी ने व्हात्सप्प को गले लगाया ...किन्हीं को मेसेज अच्छा लगता है ....कई लोग तो गूगल के दुसरे विधाओं में लिप्त रहते हैं !... अब हमें यह सोचना होगा कि कौन -कौन से व्यक्तिओं की कौन -कौन सी चाहत है ? ..मित्रता जब हमने की है तो उनके पसंदों को जानना हमारा उद्देश्य होना चाहिए ..पहचानना चाहिए ...उनके पसंदों का ख्याल करना चाहिए ..! पल्ला झाड़ने से ..डिजिटल फ्रेंडशिप के बहाने से ..हम अपने मित्रों को खोने लगते हैं ! जिस तरह हम एक झटके से मित्रों की सूची में शामिल हो जाते हैं वैसे ही एक झटके से हमें वे... 'अन फॉलो '...अनफ्रेंड...क्रमशः ...'ब्लाक '....कर देते हैं ! ....आप जो भी करते है वो करें ..परन्तु एक दुसरे के पसंदों का सम्मान करना हम सीख लें ! मित्रता कैसी भी हो ...डिजिटल ...या ..इर्द गिर्द ...पर मित्रता की परिभाषा नहीं बदलती है ....और कुछ खास आधारभूत सिधान्तों पर मित्रता आधारित थी ...आधारित है ...और आधारित रहेगी !... समान विचारधारा ....सहयोग की भावना ... समय -समय पर मिलने की चाह....गोपनीयता के परिधिओं में हमारी मित्रता घुमती रहती है !...हाँ ..तो बात पसंद की कर लें !..हमें यह देखना होगा कि कहीं ये फेसबुक से तो नहीं जुड़े हैं ?..खामखा ..उनके व्हात्सप्प पर ...मैसेंजर पर उधार के पोस्टों को चिपकाते रहते हैं ..हो सकता है आप उसे उत्कृष्ट समझ रहे हों ..पर वे तो कहीं और उलझे पड़े हैं !...इसी तरह गूगल के अन्य विधाओं का हाल है जिसे बरिकिओं सोचना ...समझना ..और ....कार्यान्वन करना हमारा प्रथम कर्त्तव्य है तभी हम निखर पाएंगे और तभी हमारी मित्रता अक्षुण रहेगी !=============== डॉ लक्ष्मण झा "परिमल " साउंड हेल्थ क्लिनिक एस ० पी ० कॉलेज रोड दुमकाझारखंड भारत
” दिव्य आलोक “हम तो लेखकों ,साहित्यकारों ,कविओं और दिव्य पुरुषों के निकट नहीं पहुँच पातें हैं ! अधिकांशतः दर्शन दुर्लभ होता है ! परन्तु उनकी कृतिओं,लेख ,प्रवचन ,कविताओं के रस पान से ही उनके सान्निध्य का एहसास होने लगता है……… महसूस तो दू …..र की बात है ! हमारे लिखने मात्र से आप हमारा आंकलन कर सकते हैं ! आर्मी ,नेवी और एयर फ़ोर्स के मनोवैज्ञानिक सर्विस सिलेक्शन बोर्ड में कैंडिडेट के विभिन्य परीक्षाओं जैसे इनटेलीजेन्स टेस्ट :एस ० आर ० टी : टी० ए ० टी ० : एस ० डी० और डब्लू ० ए ० टी ० से ही भारत के भविष्य और देश की सुरक्षा उनके हाथों में सौपते हैं ! वे उपरोक्त लिखित परीक्षाओं का ही आंकलन करते हैं ! किन्हीं से बातें नहीं होती है !हम जब कभी सोचने में शिथिल पड़ जाते हैं तो डिजिटल का बहाना बना लेते हैं ! …..हमलोग भी तो एक दूसरे से दूर हैं ! क्या हम एक दुसरे को महसूस नहीं कर सकते ? …….आपकी पांडुलिपियाँ हस्तलिखित ही आपके आंकलन के लिए प्रर्याप्त है ! रही सही आपके कंप्यूटर लिखित से भी काम चला सकते हैं ! …आप जब कभी लोगों को संबोधन करते हैं तो उन भंगिमा से ही आपका व्यक्तित्व छलकता है !============डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “दुमका
ब्रिक्स सम्मेलनः (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका)”“व्यंग “===========================================चलो ,कवि सम्मेलन सम्पन्य हुआ ! यह हमारा सौभाग्य था कि विश्व के महान कवियों का हमने सम्मान अपने धरती पर किया ! हमने सोच रखा था कि गोवा की हसीन वादिओं में उनकी कवितायें और निखरेंगी पर हमें ही अधिक कविता पाठ करना पड़ा ! ब्राजीलियन और दक्षिणअफ्रीका के कवि मायूस नजर आ रहे थे ! वे लोग अपनी कविता संग्रह ही भूल कर आ गए थे !रूस और चीन के कविओं की भी कविताएँ पाकिस्तान से छपके आने वाली थीं पर दुर्भाग्यवश उसे लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल पर ही रोक दिया गया ! अब तो सारा बोझ हमारे कंधे पर आ गया ! चुन -चुनकर वीररस आतंकवादी का राग अलापना पड़ा ! और उन्हें कवि सम्मेलन में बैठना पड़ा ! भारतीय पत्रकारों और टेलीविज़न मीडिया ने जब ब्राज़ील, रूस, , चीन और दक्षिण अफ्रीका के कविओं से पूछा ‘ आतंक रस की कविता कैसी लगी?’ तो उनका कहना था ‘इस घिसीपिटी कविताओं से हमें क्या ….हम तो अपना व्यापार करने आये थे ….कविता पाठ तो एक बहाना था !!============================================डॉ लक्ष्मण झा"परिमल "दुमका
" लंगोट चोरी पर "सी .बी .आई."जाँच " व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति ******************मंत्री जी की लंगोट चोरी हो गयी ! .....सारे सुरक्षा कर्मियों को युध्य स्तर पर पता लगाने का आदेश दिया गया !...... फिर क्या था ....ढूंढने का काम प्रारंभ हो गया ! .....चारों तरफ अफरातफरी मच गयी ! .....बात सारे राज्यों में फैल गयी ! ....मिडिया ने भी जम के अपनी सुर्खियाँ बटोरी ! आखिर टी.आर .पी. की जो बात ठहरी ! .....राज्यों में खलबली मच गयी ! .....पार्टी समर्थकों ने जगह -जगह जुलुस निकाला ! ......नारे बुलंद होने लगे ....." मंत्री जी का लंगोट वापस दो ..वापस दो "........हरेक चौक चौराहे पर सभाएं की गयी !.... सारा राज्य दो दिनों के लिए बंद बुलाया गया ! ....आखिर यह सुरक्षा का प्रश्न था ! धीरे -धीरे यह धार्मिक मामला बन गया ! क्योंकि लगोट का रंग गेरुआ जो था ! .....धर्म युध्य प्रारंभ हो गया ! लोग मरने लगे !...... राज्य के काम मानो ठप्प पड़ गए !..बातें केंद्र तक पहुंची तो प्रधान मंत्री कार्यालय से गृह मंत्रालय को आदेश मिला कि "हालत को काबू किया जाय "! ....आनन् फानन में सी.बी.आई. को जाँच करने का आदेश दिया गया !..... पार्टी समर्थकों को मनाया गया और आश्वासन दिया गया कि सी.बी.आई. १५ दिनों के अन्दर लंगोटे का पता लगाएगी ! ..बस फिर एक बार सी.बी.आई.के दस्तों ने युध्य स्तर पर इन्वेस्टीगेसन करना शुरू किया !...अंत में रिपोर्ट आयी ...." लंगोट की चोरी नहीं हुयी थी ..लंगोट तो मंत्री जी खुद भूल गए थे ...पंद्रह दिनों से वही लंगोट मंत्री जी खुद पहने हुए थे !==========================डॉ लक्ष्मण झा " परिमल "
मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टरकृषि में असाधारण और बहुत महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग कृषि कारणों से किया जाता है। मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर एचपी 25 एचपी से 75 एचपी से भिन्न होता है। मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर की कीमत निर्धारण सीमा 3.05 लाख रुपये *से शुरू होती है। यह ब्रांड भारत में TAFE समूह का है। मैसी सबसे अच्छी श्रृंखला में उपलब्ध है, प्रत्येक का अपना मूल्य है और असाधारण प्रदर्शन इस प्रकार है: - मैसी फर्ग्यूसन प्लस ट्रैक्टर, मैसी फर्ग्यूसन महा शक्ति ट्रैक्टर, ट्रैक्टर स्मार्ट फर्ग्यूसन मैसी फर्ग्यूसन, ट्रैक्टर स्मार्ट मेस्सी फर्ग्यूसन, डेंटल फर्गिसन। मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर की कीमत - 5.70 लाख रुपये *5.35 लाख के साथ। मैसी फर्ग्यूसन इंडिया ने एक ट्रैक्टर ट्रेंड का गठन किया है, जो अगले कुछ वर्षों में जारी रहेगा।सबसे लोकप्रिय मैसी फर्ग्यूसन 241-आर, मैसी फर्ग्यूसन 1035 डी और मैसी फर्ग्यूसन 245 डी। महान बल है, आदि। मैसी फर्ग्यूसन मिनी ट्रैक्टर्स एक महान ट्रैक्टर में सब कुछ जानते हैं, सभी पुराने मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर, ट्रैक्टर के सभी ज्ञान। भारत में ट्रैक्टर ट्रैक्टर मैसी फर्ग्यूसन - "कृषि के लिए अगली कार खरीदें।" मैसी फर्ग्यूसन थोड़ी देर के लिए वहां थे और यह एक प्रसिद्ध ब्रांड था। मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर मशीन एचपी 25 एचपी से 75 एचपी के बीच एक असाधारण सिलेंडर गुणवत्ता है, जो काम की सुविधा प्रदान करती है।
महिंद्रा ट्रैक्टर भारतीय बाजार में मुख्य खिलाड़ी है, जो ट्रैक्टरों के निर्माण को विरासत में मिला है, जिसने ट्रैक्टरों के निर्माण में एक उच्च मानक स्तर की स्थापना की है। मिनी महिंद्रा ट्रैक्टरों से लेकर बड़े ट्रैक्टर तक, उनके पास असाधारण सुविधाएं हैं। महिंद्रा ट्रैक्टर की कीमतसीमा 2.50 लाख रुपये *से शुरू होती है। यह ब्रांड 75 एचपी ट्रैक्टरों में 15 एचपी के बीच इंजन की सीमा को अलग करता है। कंपनी ने महिंद्रा जीवो ट्रैक्टर, महिंद्रा एक्सपी प्लस सीरीज़, महिंद्रा नोवो सीरीज़ और महिंद्रा योवो ट्रैक्टर श्रृंखला जैसी विशेष किस्मों के साथ कई ट्रैक्टरों को लॉन्च किया है, जो भारतीय किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहतर हैं।इच्छुक कंपनियों का सबसे लोकप्रिय ट्रैक्टर 20 hp -50 hp के बीच है। सबसे लोकप्रिय हैं महिंद्रा 575 ट्रैक्टर, महिंद्रा 475 डीपी प्लस और महिंद्रा एक्सपी प्लस महिंद्रा 415 डी एक्सपी प्लस मॉडल, आदि। नतीजतन, ट्रैक्टर कंपनियां निस्संदेह भारत में सर्वश्रेष्ठ ट्रैक्टर कंपनी को मजबूत करती हैं। महिंद्रा ट्रैक्टर की कीमतें 2.50 लाख रुपये से शुरू होती हैं। इस ट्रैक्टर में 75 hp पर 15 hp की इंजन दक्षता है। लोकप्रिय महिंद्रा ट्रैक्टर में 20 से 50 hp तक इंजन दक्षता है।मास्टरोफिलिया महिंद्रा क्षमता 1500 किलोग्राम से अधिक है। यह एक ट्रैक्टर से दूसरे में भिन्न होता है। प्रत्येक ट्रैक्टर के न्यूनतम 2 सिलेंडर का उपयोग किया जाता है। महिंद्रा में विभिन्न विनिर्देशों के साथ सभी प्रकार के महिंद्रा ट्रैक्टर और बड़े महिंद्रा ट्रैक्टर हैं।कंपनियों में किसानों की भाषा शामिल है जब वे ट्रैक्टरों के उपयोग के लिए लाभप्रदता, उत्पादकता और उत्कृष्ट प्रदर्शन के बारे में बात करते हैं। यह ट्रैक्टर उद्योग में सिर्फ एक महान खिलाड़ी नहीं है, लेकिन कंपनी भारतीय किसानों का भी समर्थन करती है और इसमें दुविधा को उनकी ताकत के रूप में शामिल किया गया है।
इन दिनों सोशल मीडिया पर ललित मोदी और सुष्मिता सेन की लव स्टोरी यानी शादी को लेकर खूब सारे पोस्ट वायरल हो रही हैं। अगर सीधे शब्दों में बोलूं तो सुष्मिता सेन और ललित मोदी के इस प्रेम का मजाक बनाया जा रहा है। यह पहली घटना नहीं है बल्कि इससे पहले भी जब किसी उम्रदराज आदमी ने शादी की या अपने से बहुत कम उम्र की लड़की से शादी की तो उसका भी मजाक बनाया जाता आ रहा है। ऐसे में सवाल यह उत्पन्न होता है कि हम किन्ही दो लोगों के प्रेम को स्वीकार क्यों नहीं कर पाते ? क्या प्रेम को लेकर आज भी हमारे समाज में घृणा है या प्रेम की समझ हमारे समाज को आज भी नहीं है ?भारतीय संविधान के तहत 18 वर्ष के बाद सभी लड़के, लड़कियां बालिक हो जाती है। जिसके बाद से उन सभी को अपने जीवन के फैसले लेने का अधिकार होता है। जब ललित मोदी और सुष्मिता सेन 18 वर्ष से ऊपर है तो फिर हम लोग कौन होते हैं उनके प्रेम का मजाक बनाने वाले और उन पर हंसने वाले ? क्या इस तरह की घटना हमारे समाज की मूर्खता को नहीं दर्शाता है ?सुष्मिता सेन और ललित मोदी ने एक साथ चलने का फैसला किया है। यह दोनों लोग अपने जीवन में सफल लोग हैं। इनके अपने अपने बिजनेस है और इनकी करोड़ों की संपत्ति है। किसी के प्रेम का मजाक बनाना कहां तक सही है ? क्या प्रेम सिर्फ दो युवा लोग ही कर सकते हैं ? खैर जो भी हो, मगर हमें किसी के प्रेम का मजाक नहीं बनाना चाहिए और प्रेम के प्रति अपना नजरिए को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। प्रेम अनमोल है, यह ना उम्र देखता है, ना पैसा देखता है, ना ही इंसान का रंग दिखता है, ना ही जाति देखता है और ना ही धर्म देखता है। समाज के इसी डर से कई लोगों का प्रेम तबाह हो जाता है और कई लोग सुसाइड कर लेते हैं। हमारे समाज को प्रेम के प्रति अपना नजरिया बदलना चाहिए। तभी हम एक प्रेम पूर्वक समाज की स्थापना कर पाएंगे। - दीपक कोहली
भारत में, न्यू हॉलैंड ट्रैक्टर अपने मशीनीकरण और नवाचार के लिए प्रसिद्ध है। सबसे सस्ता नया डच ट्रैक्टर ने 6.00 लाख रुपये *खर्च किए, जबकि न्यू हॉलैंड ट्रैक्टर की लागत 26.00 लाख रुपये * है। यह ब्रांड कुल 20 बजट -मित्र मॉडल और लागत -सेविंग प्रदान करता है। इस ट्रैक्टर में 35 से 90 की हॉर्सपावर रेंज है। सबसे प्रसिद्ध न्यू हॉलैंड ट्रैक्टरों में न्यू हॉलैंड 3600-2 टेक्सास, न्यू हॉलैंड 3230 और न्यू हॉलैंड 3630 टेक्सास शामिल हैं। 2022 में भारत में, नया डच ट्रैक्टर दुनिया भर में एक मान्यता प्राप्त ब्रांड बन जाएगा, जो एक ट्रैक्टर प्रदान करने के लिए उत्कृष्ट अटकलों के साथ हर किसान के लिए एक आदर्श विकल्प होगा। CNH औद्योगिक दुनिया में सबसे प्रसिद्ध ट्रैक्टर ब्रांडों का उत्पादन करता है।न्यू हॉलैंड एक्सेल बाजार पर सबसे कुशल और मजबूत ट्रैक्टर श्रृंखला है, जिसमें भारी कार्यों के साथ कई पूर्ण और कार्यात्मक पूर्ण ट्रैक्टर हैं, जो महान सेवाएं और उत्कृष्ट उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान करते हैं। इस श्रृंखला में, इंजन में 47 से 90 हॉर्सपावर है। न्यू हॉलैंड ट्रैक्टर की कीमत 7.70 और 14.8 लाख *है।
भारत में, पावरट्रैक ट्रैक्टर 27 विभिन्न मॉडलों में आता है, जो सभी कार्यक्षमता और प्रदर्शन के मामले में शीर्ष-लाइन बन जाते हैं। पावरट्रैक ट्रैक्टर को 1960 में एक एस्कॉर्ट कंपनी द्वारा पेश किया गया था, जिसे एस्कॉर्ट कृषि मशीनरी के रूप में भी जाना जाता है। पावरट्रैक ट्रैक्टर के साथ, यह व्यवसाय भारत में अपने अन्य उत्पादों का परिचय देता है।एस्कॉर्ट्स जो असाधारण और भविष्य के प्रतिरोधी हैं, उनके पास लक्जरी ट्रैक्टर संरचनाओं का एक सेट है। ट्रैक्टर के लॉन्च का उद्देश्य कृषि भूमि के उपयोग को बढ़ाना है, एक आसान कार्यबल आनुपातिक उत्पादन करना और किसानों के लिए उत्पादन बढ़ाना है। हालांकि, प्रारंभिक एस्कॉर्ट के बावजूद, पावरट्रैक ट्रैक्टर मॉडल भारत में उत्कृष्ट प्रदर्शन और दक्षता के साथ सबसे अधिक बिकने वाला ट्रैक्टर है। कंपनी का ट्रैक्टर उत्पादन कभी भी उन्हें उत्कृष्ट बिक्री उत्तर प्राप्त करने से नहीं रोकता है। निगमों ने नए और ब्रांडेड बाजार मानदंडों के रूप में ट्रैक्टर बनाने के लिए अपना लॉन्च किया है। यहां ट्रैक्टर में एक अच्छी इंजन दक्षता है, इंजन के लिए 25 से 60 हॉर्सपावर के साथ, उत्पादन के लिए आदर्श। पावरट्रैक ट्रैक्टर की कीमत सीमा है जो 4.30 लाख रुपये से शुरू होती है, जो बहुत सस्ती है। पावरट्रैक ट्रैक्टर भारत में बहुत मूल्यवान और बहुत लागत -प्रभावी हैं।
कुबोटा ट्रैक्टर अच्छा और कुशल ईंधन है, जिसमें उच्च -गुणवत्ता वाले इंजन हैं जो सराहनीय प्रदर्शन करते हैं। ट्रैक्टर कंपनी की सबसे बड़ी संपत्ति इसकी टास्क फोर्स है। इस संगठन में मजबूत कार्यकर्ता संसाधन हैं जो सफल विपणन की सुविधा प्रदान करते हैं और बाजार की बिक्री बढ़ाते हैं।इस उद्योग में निगमों की महत्वपूर्ण और मजबूत उपस्थिति है; • कुबोटा ट्रैक्टर की लागत किसानों और ठेकेदारों के लिए निवेश करने के लिए सस्ती और संभव है।कुबोटा उत्पाद न केवल लागत -प्रभावी हैं, बल्कि बहुत किफायती हैं, और उनकी रचना उच्च गुणवत्ता की है। कुबोटा कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर ड्राइविंग और हैंडलिंग के लिए सही तंत्र के साथ सर्वोत्तम मूल्य के साथ उपलब्ध है।भारत में कुबोटा ट्रैक्टर की कीमत बहुत कम है, जिससे वे हर किसान के लिए सस्ता हो जाते हैं। भारत में कुबोटा ट्रैक्टर 5.50 लाख रुपये से लेकर 11.50 लाख रुपये तक था। कुबोटा मिनी ट्रैक्टर की कीमत 5.15 लाख रुपये और 6.55 लाख रुपये *के बीच है, जो उचित है और पैसे के लायक है। नतीजतन, जब यह उनके ट्रैक्टर की कीमत और लागत की बात आती है, तो किसान पूरी तरह से ट्रैक्टर ब्रांड पर निर्भर होते हैं।
ट्रैकस्टार ट्रैक्टर की कीमतें 4.81 से शुरू होती हैं। ट्रैकस्टार भारत में विभिन्न ट्रैक्टर मॉडल प्रदान करता है, और एचपी की सीमा 31 एचपी से 50 एचपी से शुरू होती है।ग्रोमैक्स एक कृषि रोलिंग यूनिट है जिसमें एक लक्ष्य है जो सस्ते मशीनीकरण समाधानों के साथ पूरे भारत में किसानों के जीवन में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है। कंपनी का मानना है कि भारत में एक किसान का जीवन वास्तव में तभी बदल सकता है जब वह अपने इनपुट से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकता है। सस्ती कंपनी मशीनीकरण समाधान, ट्रैकस्टार ट्रैक्टर और ट्रैकमेट कृषि उपकरण, का उद्देश्य इस कार्य को प्राप्त करना है। ट्रैकस्टार ट्रैक्टरों का उत्पादन ग्रोमैक्स कृषि उपकरण लिमिटेड (ईस्ट महिंद्रा गुजरात ट्रैक्टर लिमिटेड) द्वारा किया जाता है।उनके अनुसार, किसानों का जीवन तब बदल सकता है जब वह अपने इनपुट की अधिकतम वृद्धि प्राप्त कर पाएगा। और इसे प्राप्त करने के लिए, यह भारतीय किसानों के लिए उच्च -टेक ट्रैक्टर प्रदान करता है जो बहुत ही सस्ती सीमा पर बहुत कुशल और मजबूत के लिए बनाए गए हैं। एक परिष्कृत ब्रेकिंग सिस्टम और एक मजबूत इंजन के साथ, यह सुनिश्चित करना कि ग्राहकों के पास एक आरामदायक और चिकनी ड्राइव है। ट्रैकस्टार ट्रैक्टर को बहुत संगत और लंबे समय तक जीवित रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
डिजिटैक ट्रैक्टर की कीमत 2022 में 5.75 रुपये से 7.10 लाख रुपये से शुरू होती है। डिजिट्रैक भारत में विभिन्न प्रकार के 3 ट्रैक्टर मॉडल प्रदान करता है, और HP की सीमा 47 hp से 60 hp तक शुरू होती है।डिजिट्रैक एस्कॉर्ट द्वारा प्रदान की गई सबसे शक्तिशाली ट्रैक्टर श्रेणियों में से एक है जो 3-4 सिलेंडर के साथ बेहतर उठाने की क्षमताओं और मजबूत मशीनों से लैस है। यह भारी कार्य ट्रैक्टर पूर्ण परिशुद्धता में अधिक कुशल होने के लिए डिज़ाइन किया गया है और आपको एक चिकनी ड्राइविंग अनुभव देता है जबकि आपको एक चिकनी ड्राइविंग अनुभव देता है जबकि आपके पास 5 -यार वारंटी प्रदान की जाती है। पावर स्टीयरिंग, ड्यूल-क्लच, ब्रेक जैसे कि तेल, निलंबित पैडल, भारी कार्य और वक्ताओं को एक आसान ड्राइव से सुसज्जित किया जाता है, जब आपके पास एक आसान ड्राइव होता है, जब झटके कम होते हैं और ट्रैक्टर की गतिशीलता को बढ़ाते हैं। डीजीट्रेक ट्रैक्टर मॉडल जैसे डिजीट्रैक पीपी 51i, डिजिट्रैक पीपी 46i और कई अन्य लोगों ने कई भारतीय किसानों का दिल जीत लिया है।
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