Thank God की Storymirror.com है

Sant Prasad Yadav

Sant Prasad Yadav

18 February 2018 · 2 min read

बचपन से किताबों की दुनिया को अपना हमसफ़र बना चुका देव, आज सांझ की बेला के वक्त, सूर्य को रात भर के लिए विदा होते हुए उसकी लालिमा को देख वह अपनी बचपन की यादों में खो जाता है।
जैसे अभी कल की ही बात हो। दादा जी बाजार से अच्छी-अच्छी कहानियों की किताब ले कर आये हों और वह,'' दादा जी आ गये..दादा जी आ गये,'' खुशी से उछलते हुए उनकी तरफ दौड़ पड़ा हो।सच, कई बार अगर दादा जी ने उसे सही वक्त पर संभाला ना होता तो वह मुंह के बल गिर पड़ा होता।
उसे कहानियां पढने का बहुत शौक था। वह पढ़ते हुए खो सा जाता था। उसकी कहानियों में चंदामामा होते थे। बूढ़ी काकी होती थी। रामू काका होते थे। अनाथ होते थे। गरीब होते थे। सुंदरवन होते थे। नदीयोंतालाबों-नहरों, झील पर्वत से जुड़ी अनोखी दास्तानें होती थी।
एक वक्त ऐसा भी आया जब वह दादा जी की लाठी का सहारा भी बना, फिर भी दादा जी उसे छोड़ कर इस दुनिया से चले गये। उस दिन वह खूब रोया था।
वक्त के साथ-साथ देव बड़ा हो गया और वह पैसे कमाने के लिए विदेश चला गया। पर उसकी कहानियां पढने की आदत नहीं छूटी। पर उसे विदेश में हिंदी की कहानियों की किताब मिलना मुश्किल लग रहा था।
क्योकि वह जानता था जिस देश की मातृ भाषा ही हिंदी है पर वहां के लोग उसे पढ़ना नहीं चाहते तो यह तो विदेश है।
विदेशी धरती पर इंडिया की याद में खोया देव अपने बचपन की यादों की कारवां से जब  बाहर आया, सूर्य जा चुका था और उसकी जगह चांद अपने तारों की बारात के साथ धरती को अंधेरे में देखने की कोशिश कर रहा था।
देव कुछ मायूस सा हो कर छत पर से घर की अंदर की तरफ सीढीयों पर कदम बढ़ाते हुए यही सोच रहा था कि इंसान जीती बाजी जीत कर भी हार जाता है, जब उसके पास उसकी मनचाही चीज नहीं होती।
तभी उसके मोबाईल में एक मैसेज आता है, www.Storymirror.com  यह मैसेज एक संस्था की तरफ से था, जिसमें लिखा था अपनी भाषा में कहानियों को पढ़ने के लिए इस लिंक पर किल्क करें।
थोड़ी हैरत से उसने किल्क किया। उसे यकीन नहीं हो रहा था। www.Storymirror.com
का आनलाईन पोर्टल सामने था। उसने हिंदी लैंग्वेज सिलेक्ट किया और फिर उसने 'बाल कथा' पर किल्क किया। पल भर में उसके सपनों का संसार, ख्वाबों की हकीकत, और बचपन की यादों का दर्पण उसके सामने था।
उसे अपने देश के एक से बढ़ कर उभरते हुए लेखक- लेखिकाओ की कहानियों को पढ़ कर जो खुशी मिली वह उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता था, उसने सिर्फ इतना ही कहा, ' Thank God की Storymirror.com है
- सन्त प्रसाद यादव

  Never miss a story from us, get weekly updates in your inbox.