पता ना चला

Habib Manzer

Habib Manzer

8 June 2018 · 1 min read

जब नज़र मिल रही थी पता ना चला
ईश्क़ कब हो गया कुछ पता ना चला

बाते दिलकी मेरी वो समझने लगा
दिलने अपना कहा कब पता ना चला

चाहते धीरे धीरे भी बढ़ने लगी
मुंतज़िर दिल रहा कब पता ना चला

भीड़ दुनिया से दिल दुर होने लगा
दिल कसम दे दिया कब पता ना चला

दिलमे हसरत तेरी कैसे बढ़ने लगी
ज़िंदगी कह दिया कब पता ना चला

नींद मे बड़बडाने की आदत ना थी
ख्वाब तु बन गया कब पता ना चला

ऐसे मंज़र दिवाना तेरा बन गया
आह भरने लगा कब पता ना चला

हबीब मंज़र

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