कृपया सोचिएगा जरूर

रविवार को मैंने एक मूवी देखी ,मूवी देखते समय काफी रोई मैं ,देख के घर तो आ गयी पर आज दिन तक दिमाग वही घूम रहा है।

मैंने तो सिर्फ एक नाट्य रूपांतर देखा है तब ये हाल है , पर जिन बच्चियों और औरतों के साथ ऐसा होता है उनके मन की स्थिती को समझना या बयां करना बहुत मुश्किल है।

लेकिन न चाहते हुए भी ऐसा हर दिन होता है , क्या हमारी कोई ज़िम्मेदारी नही ??? हम भी तो इस समाज का हिस्सा है ....तो क्या डर कर चुप रह कर हम अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर रहे है ???

हम बेटियों को कितना सिखाते हैं ....उनके कपड़ों से लेकर मर्दों के कितने पास या दूर रहना है वहां तक , थोड़ी बड़ी होने पर हम उन्हें उनके बाप भाई तक से सतर्क रहने को बोलते हैं। लेकिन क्या हम अपने बेटों को सिखाते हैं कि उन्हें स्त्रियों से कैसा बर्ताव करना चाहिए ?? जब पहली बार उन्हें खुले में शौच कराते हैं तो सोंचते हैं कि कितना गलत कर रहे हैं हम ???? खुले में लड़की हो या लड़का नही जाना चाहिए न , आगे जा कर ये ही बातें गलत रूप लेती हैं ।
नही हम नही सोचतेे आम धारणा तो ये है "अरे ये तो लड़का है " इसी धारना से बढ़ावा मिलता है । क्या हम ये मुहिम नही शुरू कर सकते कि हम अपनी बेटियों के साथ साथ अपने बेटों को भी उस बारे मे शिक्षित करेंगे ???
कृपया सोचिएगा जरूर ।।।।


रेवा

  Never miss a story from us, get weekly updates in your inbox.