मेरी तबियत ना पूछ मुझसे...

Sudhir Kumar Pal

Sudhir Kumar Pal

22 June 2018 · 1 min read

मेरी तबियत ना पूछ मुझसे के आज मैं बोहोत बीमार हूँ,
चंद लम्हों को ही सही तेरा आज मैं हक़दार हूँ...

चाँद तारे भी तरसते हैं जिस रात के आग़ोश को,
उस रात के दीदार को आज मैं तैयार हूँ...

सोच सके ना तू जिसे वो आज इक बात सुनती जा,
मौत मैं नहीं तुझसे एक पल भी होशियार हूँ...

हाँ कह सकते हैं की हम इश्क़ में उसके मर मिटे,
कहाँ जी कर भी बिन उसके कहलाया समझदार हूँ...

वक़्त लूट ले गया तम्मनाओं की विरासत मुझसे,
इश्क़ की बर्क़-ए-तज्जली-ए-महफ़िल दामन आज मैं तार तार हूँ...

कहा उसने था कि तू बच ना मुझसे पायेगा, जायेगा जहाँ सिर्फ मेरा ही रंग पायेगा,
होश में आये तो ना थी वो ना सुरूर उसका, ख़्वाबों का सा अब तो रह गया मैं बाज़ार हूँ...

'नाज़' देख मोहोब्बत ने तेरी मुझे कहाँ ला के छोड़ा,
अर्श सीउसकी क़ायनात में पोशीदा मैं गिरफ़्तार हूँ...के देख कितना लाचार हूँ...तेरा हूँ फिर भी बेज़ार हूँ....

----सुधीर कुमार पाल 'नाज़'

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