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वो कहते हैं क्यों लिखती हो इतनी कवितायें ….
मैं खामोश रहती हूँ …
कवितायें ही तो वो जगह होती हैं जहां जाने कितनी ही अधूरी कहानियां पूरी होती हैं …
अधूरी कहानियां जो अधूरी होके भी मुकम्मल है …
जैसे ….
कहानी…तुम्हारी और मेरी ..