ग्लोबल वार्मिंग और हम

Happy earth day 2018

विषय-वैश्विक तापमान कारण और निवारण

सदियों से तपती इस धरा पर जाने कितने अत्याचार और बदलाव आये है।वैसे तो कुदरत से मिली हरेक सम्पति से वो भरपूर है,लेकिन मानवजाती ने खुद को और अपनी आनेवाली पीढी को ब्रह्मांड में एक नयी पहचान देने की जब से ठान ली हैऔर इसके लिए जाने कितने ही आविष्कारों से धरती को सजायें जा रहे है।क़ुदरत की अखुट संपत्ति से लबरेज़ हरियाली धरती अब कहीं कहीं से बंज़र दिखती जा रही है।अपने आपको विश्वमानव बनाने की धुन थी तब तक तो ठीक था,लेकिन वहाँ से ओर ऊपर उठकर अवकाश में भी अपनी जगा बनाकर सब से ताकतवर बनने की होड़ लगी है।औद्योगिक क्रान्ति तो मानवजात के उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ही आवकारदायक कदम है लेकिन केमिकल के उपयोग से दूषित पानी की समस्या और समुद्रजीवो के निकंदन से जैविक संतुलन बिगड़ रहा है।
सरकार के द्वारा क़ानून बनाकर ठोस कदम उठाये गए है, लेकिन अपनी महत्वकांक्षाओ को "स्काय इस घ लिमिट "समजनेवाले ग्लोबल विकासी कहीं रुकने को तैयार नहीं।कन्स्ट्रक्शन इंन्डस्ट्री में भी काफी पेैबंदिया लगाने के बावजूद बेफाम बढ़ती बहुमाली इमारतों की वजह से महानगरों में काफी दिक्कतों का सामना कर रहे लोग।जैसे न्यूयॉर्क में कभी ऐसा भी हुआ था की ऊँची इमारते बनने लगी और आमने सामने स्ट्रीट बन गयी तो कम गेप छोड़ने की वजह से अन्धेरा रहने लगा और फिर नियम बनाये गए ,उसी के मुताबिक़ डेवलोपमेन्ट बढ़ाया जा रहा है लेकिन अब भी जैसे जैसे डेवलोपमेन्ट बढ़ा मार्किट एरिया और रहेने की पुरानी जगाओ पर वही समस्याए खड़ी हे। जैसे ट्राफिक की वजह से कितने मानवसमय का क्षय हो रहा है और मेरे ख्याल से जल्दी पहुंचने की दौड में जो आविष्कार किये गए उस के बावजूद वहीं के वहीं रहे जा रहे है।टेक्नोलोजी -मोबाईल-कमप्युटर उद्योगों का धुंआ और पेट्रोल डीज़ल का प्रदुषण दोनों मानवजीवन की शारीरिक क्षमता को क्षीण कर रहे है।समजदार देश भी अपनी ताकत दिखाने के लिये अणुपरिक्षण का मोह छोड नहीं रहें।
खुले वातवरण से मिलनेवाली शुद्ध हवा जैसे महानगरों में एक याद बन गयी है।दूषीत पानी और दूषीत हवा से कितनी भयंकर बीमारियों का शिकार बन रहा हे मानवी।वैसे तो सरेराश आयु बढ़ी है मेडिकल संशोधन के कारण,लेकिन फिर भी समस्याएं कम नहीं हुई।सो साल जीने की तमन्ना करने वाला इंसान एक के बाद एक समस्याओ से ज़ुज़ रहा है, ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह जंगलो का काटना,और प्लास्टिक का ज्यादा उपयोग होने की वजह से "ओज़ोन "लेयर में ब्लेक हॉल का विस्तार बढ़ा जिसकी वजह से सूरज की तेज रेडियन किरणे बढ़ने लगी,जो स्किन कैंसर वगैराह बढ़ने का मुख्य कारण है। ये तो सब समस्याए है,लेकिन उसका उपाय भी वही बुद्धिजीवियों को ढूंढना होगा जिन्होंने ये सब खड़ा किया है,नयी पिढी को इस समस्या से अवगत कराके उन्हें कुदरत से ज्यादा नजदीक रहने से लिए सामाजिक जागृति अभियान और हमारे गाँवों में भी जिस तरह से आधुनिकरण हो रहा है वहाँ पर वर्कशॉप करके और स्कूल के विद्यार्थी और शिक्षकों द्वारा ज्ञानजाग्रुति अभियान चलायें तभी सब आनेवाली पीढ़ी के लिए पानी,हरियाली शुद्ध हवा और हमारे जरुरी खनिज वगैराह बचा सकेंगे ।सिर्फ हमारी सरकार के प्रयत्न ही नहीं सभी को खुद समज़कर अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारना बंध करना चाहिए।

"जय ग्लोबल विश्व”

जब सब अच्छे से जियेंगे तभी तो जीवन आगे बढ़ेगा।

-मनीषा जोबन देसाई सूरत -गुजरात -इण्डिया

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