
हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है ।भारत के अलावा अन्य कई देशों में यह बोली जाती है।पिछले हिन्दी दिवस पर one Nation one language Ki Baat कही गई थी। लेकिन नई शिक्षा नीति में इसकी चर्चा तक नहीं की गई है।इस नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है यह सही है परन्तु पूरे देश को जोड़ने के लिए भी एक भाषा तो होनी चाहिए । अब सवाल उठता है कि हम इसके लिए हिंदी को ही क्यों चुने? तो जवाब है । हिंदी 44% लोगों द्वारा बोली जाती है जबकि भारत की अन्य भाषा 10% से नीचे ही बोली जाती है। यहां तक पढ़े लिखो की भाषा अंग्रेजी भी देश में 0.002% द्वारा ही बोली जाती है। संस्कृत का भी यही हाल है। हिंदी पूरे देश की भाषा नहीं है इसलिए अभी तक इसे संयुक्त राष्ट्र संघ में भी मान्यता नहीं प्राप्त हुई है।
हिंदी बहुत ही सहज और सुगम भाषा है। उदाहरण के लिए अगर कोई कहता है "मेरा बैड लकवा ही खराब है नहीं तो हम इस बार परीक्षा पास कर जाते तो उसके इस कथन से "मेरी किस्मत ही खराब है नहीं तो मैं इस बार परीक्षा पास कर जाता "का अर्थ निकाला जाता है। शब्द की गलती से वाक्य का अर्थ नहीं बदलता। भाषा के इतिहास में हिंदी भाषा अभी नवजात ही है। इसीलिए इसे केवल वेवीनार का विषय ना बना कर इसे स्वीकारते हुए इस के उज्जवल भविष्य की कामना इस हिंदी दिवस पर करें।