सुनो... बताना है तुम्हे कुछ!

Aastha Pathak

Aastha Pathak

10 March 2018 · 1 min read

सुनो...

तुम्हें काफी कुछ बताना है. 

बताना है तुम्हें की चाँद के पूरे दिख जाने में तुम शिद्दत से याद आते हो.

और

उसके बाद मन में महसूस होता अकेलापन,

अमावस की रात सा हो जाता है चाँद के बिना सियाह!

तुम्हारे सो जाने के बाद...

तुम्हें बताना है

की तुम सोते हुए कितने प्यार से भरे लगते हो.

जैसे एक नन्हा सा बच्चा अपनी बड़ी आँखों से निहारता है घटते बढ़ते चाँद को।

बताना है यह भी...

कि तुम जो यूँ दूर हो जाते हो!

यह हुनर तुमने सीखा है चाँद से,

या चाँद ने सीखा है तुमसे यूँ बादलों में छिपम छिपाई का खेल.

तुम्हे बताना है..

कि रात के करीब ढाई बजे जब या तो सब सोये हैं 

या मशगूल हैं तन्हाई या इश्क़ में,

मैं अपने असाइनमेंट पूरे करने में लगी हूँ.

तभी अचानक एक हल्का सा हवा का झोंका

चुरा लाया है खुशबु तुम्हारी,

हज़ार किलोमीटर दूर मुझ तक।

देखो इस तरह हवा का मज़ाक करना मुझे कतई नहीं पसंद।

सुनो...

सुन रहे हो ना!!!



  Never miss a story from us, get weekly updates in your inbox.