आधुनिक युग में बच्चों को पालना एक सबसे बड़ी चुनौती

Rewa Tibrewal

Rewa Tibrewal

9 February 2018 · 2 min read

इस आधुनिक दौर मे बच्चों का सही तरीके से पालन पोषण करना बहुत कठिन कार्य हो गया है।एक ओऱ बच्चों में अच्छे संस्कार देना जरूरी है तो दूसरी ओऱ उन्हें अनुशासित रखना और उनके दोस्त बने रहना भी बहुत जरूरी है। आजकल बड़ों के पाँव छुना , पूजा करना ,ये बचपन मे बच्चे फिर भी सुन लेते हैं ,पर बड़े होने के बाद पुराने ज़माने की सोच कह कर टाल देते हैं। रही सही कसर आजकल इन्टरनेट ने पूरी कर दी है ,जहाँ ये ज्ञान का भंडार है वहीँ बच्चों को बिगाड़ने का सबसे बड़ा साधन ,इसमे गेम्स ,फेसबुक और भी बहुत कुछ है। एक ओर बच्चों के विकास के लिए कंप्यूटर जरूरी है तो वहीँ इन सबसे उन्हें बचाना मुश्किल। मोबाइल फ़ोन एक दुसरी चिंता का विषय बन गया है ,ये भी समय पर देना जरूरी है क्युकी टूशन और एक्स्ट्रा एक्टिविटी के लिए वो सारे दिन बाहर रहते हैं। पर इसके दुष्परिणाम भी बहुत हैं। बच्चे सारा सारा दिन उसी मे लगे रहते हैं ,सार ये है की हमे सब देना भी है और उन्हें उनके दुष्परिणाम से जागरूक भी रखना है ,जोकि सबसे बड़ी चुनौती है। मुश्किल अभी यहीं नहीं  खत्म होती ,बच्चों की ज़िद जो तक़रीबन हर माँ बाप की सबसे बड़ी मुसीबत  है ,जो आजकल देखा -देखी  हर दूसरी चीज़ के लिए होती है, जिसे पूरा करना मुश्किल है और समझाना उससे भी बड़ी मुसीबत ,हम माँ बाप की भी बहुत जगह गलती होती है ,हम बच्चे को हर छेत्र मे अव्वल देखना चाहते हैं ,पढाई खेलखुद और न जाने क्या-क्या और उनपर इसके लिए प्रेशर डालते हैं । 


"कुल मिला कर हर चीज़ मे एक बैलेंस होना बहुत जरूरी है , तभी हम उन्हें देश का एक अच्छा और  सच्चा नागरिक बना पाएंगे"। 


रेवा 





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