तुमसे मेरा इश्क ....
कभी खामोश ..कभी चहकता सा ..
कभी साथ बैठ के रात ढलने तक
ढ़ेरों बातें करना ...
तो कभी यूँ ही चुपचाप...
एक दूसरे को निहारते रहना .....
हाँ पास नहीं हो तुम मेरे ...
लेकिन दूर भी कहाँ हो ...
देखो ना ...
दूर ...बहुत दूर....
आसमान और ज़मीन...
एक ही तो नज़र आते हैं ...