Rose poems

Gulabchand Patel

Gulabchand Patel

19 May 2018 · 1 min read

हे प्रिये काश एसा भी हो 

मेरी पलकें आँसू से भीग जाय एसा भी हो, तेरे विरह की वेदना मे प्यारका जर ना, 

कही सुक जाए एसा भी हो.... 

जन्म दिन पर तेरे दिए गए गिफ्ट, 

कही खो जाएँ ऎसा भी हो.... 

तेरे भेजे गए email कही, 

डिलीट हो जाय ऎसा भी हो.... 

तेरी आंखो की तेज रोशनी से, 

मेरी आँखे चकाचौंध हो जाय ऎसा भी हो 

तेरे प्यार के sms से 

मेरा दिल बिंद जाय एसा भी हो... 

समन्दर की लहरों की तरह पुलकित प्यार 

कही दब जाय एसा भी हो... 

तेरा कमल की तरह खिला हुआ 

चेहरा कही शर्मा जाय एसा भी हो.. 

काश! गुलाब तेरे प्यार के उपवन में, 

कही खो जाएँ ऎसा भी हो... 

गुलाब चंद पटेल 

कवि लेखक अनुवादक 

नशा मुक्ति अभियान प्रणेता 



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