ग़ज़ल/ यूसुफ़ रईस
ये जो मंज़र है कहाँ था पहले
चार सू मेरे धुआँ था पहले।
उसने मिट्टी को उड़ा कर बोला
ये जो इंसाँ है यहाँ था पहले।
तुम जिसे दरिया कहा करते हो
मेरी आंखों में रवां था पहले।
ख़ुल्द की आप तमन्ना कीजै
मैं तो मौजूद वहाँ था पहले।
दरमियां जब न कोई मज़हब था
ये जहाँ और जहाँ था पहले
तुमने तामीर किया अपना ख़ुदा
वरना कब उसका निशां था पहले ।
उसके चेहरे की इबारत पढ़ कर
लौट आया मैं जहाँ था पहले।
तेरी सोहबत में ग़ज़ल कहने लगा
ये हुनर मुझमें कहाँ था पहले ।
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नाम- यूसुफ़ रईस
विधा- कविता/ग़ज़ल/लघु कथा/उपन्यास
प्रकाशित कृतियाँ- दो ग़ज़ल संग्रह ' इक तन्हा सफ़र ' व ' चेहरा रिश्तों का' एक बहुचर्चित उपन्यास ' मैं शबाना '। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन ।
शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ' ओ रे हरिया ' व ' मुजफ़्फ़र नगर ।
पता- वार्ड नं. 2 , नयापुरा,पिड़ावा,जिला झालावाड़ राजस्थान,पिन -326034
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