तस्वीरों के आईने में ...
एक धुंधली सी तस्वीर ....
स्याह से जीवन में सूरज की किरण बिखेरती ...
मुस्कुराती खिलखिलाती ....
पल में खामोश हो जाती....
रोज़ नहीं होती अब मुलाकात उससे ....
शायद इसी की नाराज़गी है ...
पर जब भी मिलती हूँ ..
कितनी ही यादें ताज़ा हो जाती हैं ...
संजो रखी हैं आज भी मैने.
तेरी अनगिनत...अनमोल यादें ...