तेरी ख़ुशी में ही हम सभी की ख़ुशी निहित है

कुमकुम की शादी नीरज से हुई।कुमकुम खुद एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी और नीरज एक इंटीरियर डिजाइनर।शादी से पहले कुमकुम पुणे में एक MNC में जॉब करती थी।नीरज कुमकुम के पिता के दूर के रिश्ते में लगता था और उसका इंटीरियर डिजाइनिंग का बिजनेस दिल्ली में था।हालांकि कुमकुम तो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ही शादी करना चाहती थी।चूंकि कुमकुम के पिता को रिश्ता अच्छा लगा और उन्हें नीरज में कोई खामी भी नज़र नहीं आयी इसलिए उन्होंने कुमकुम को भी यह कहकर मना लिया कि शादी दो परिवारों का दो दिलों का मेल है।ना कि प्रोफेशन का।नीरज और उसकी माताजी बहुत समझदार हैं इसलिये वह तुम्हें शादी के बाद दिल्ली में भी जॉब करने देंगे।सबसे मुख्य बात नीरज जब 15 साल का था तभी उसके पिता की मौत हो गयी वह खुद की मेहनत के बलबूते खड़ा हुआ है इसलिए उसे मेहनत का मूल्य भी पता है।

नीरज की माँ और उसकी छोटी बहन रीमा आगरा रहते थे।रीमा अभी पढ़ रही थी।शादी के बाद लगभग 2 महीने कुमकुम अपने ससुराल में रही और नीरज दिल्ली।हालांकि हर शनिवार,रविवार को नीरज अपने घर आ जाया करता था।2 महीने बाद कुमकुम नीरज के साथ दिल्ली चली आयी और उसने थोड़े दिन अपना घर सेट करने के बाद जॉब ढूंढनी शुरू कर दी।चूंकि कुमकुम के पहले के रिकॉर्ड्स अच्छे थे इसलिए उसे एक बहुत अच्छी कंपनी में जॉब भी आसानी से मिल गयी।नीरज ने भी कुमकुम को पूरा सपोर्ट किया।वह दोनो अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे।हर शनिवार को दोनो कभी कभी आगरा भी चले जाते और कुमकुम अपनी ननद और सास के साथ भी मिलजुल कर रहती।

धीरे धीरे 2 साल बीत गए और एक दिन कुमकुम को पता लगा कि वह गर्भवती हो गयी।चूंकि कुमकुम के लिए अकेले सब कुछ मैनेज करना कठिन हो रहा था।इसलिए कुमकुम की सास ने कुमकुम को अब जॉब छोड़कर आगरा आने की सलाह दी।रीमा की भी आगरा में ही एक अच्छे स्कूल में जॉब लग गयी थी।कुमकुम जॉब छोड़कर उनके पास रहने चली गयी।शुरू में तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन दिल्ली में नीरज को भी कुमकुम के बगैर अकेला घर खाने को दौड़ता और कुमकुम भी बिना जॉब के आगरा में उदास उदास सी रहने लगी।लेकिन वह अपने आप को यही सोचकर दिलासा देती रहती कि जब बच्चा आएगा तो उसका मन अपने आप लग जायेगा।यह 9 महींने कुमकुम और नीरज पर बहुत भारी गुजर रहे थे।दोनो बस बच्चे के पैदा होने का इंतजार कर रहे थे।

कुमकुम को एक बेटा हुआ।उधर रीमा के लिए भी रिश्ते आने लगे।एक रिश्ता बहुत अच्छा आया और कुमकुम की सास उस रिश्ते को छोड़ना नहीं चाहती थी।इसलिए चट मंगनी पट ब्याह हो गया।कुमकुम ने छोटे बच्चे के साथ सब कुछ बहुत अच्छे से संभाला।नीरज तो बस वीकेंड पर ही आ पाता था।सभी कुछ कुमकुम और रीमा ने ही मिलकर मैनेज किया।सभी मेहमानो ने और लड़के वालों ने सारे इंतजाम की बहुत तारीफ की।रीमा के ससुराल जाने के कुछ दिन बाद ही कुमकुम ने अपनी सास से वापस दिल्ली जाने की बात कही और उन्हें भी साथ चलने को कहा।कुमकुम की सास दिल्ली चलने को तैयार भी हो गयी।

अब नीरज और कुमकुम के साथ उसकी सास भी रहने लगी।कुमकुम का अपने बच्चे के साथ बहुत दिल लगने लगा।उसने बच्चे की देखभाल और जॉब में से बच्चे की देखभाल को प्राथमिकता दी।धीरे धीरे 3 साल निकल गए और कुमकुम का बेटा स्कूल जाने लगा।अब कुमकुम को फिर से खालीपन काटने को दौड़ता और वह फिर से बुझी बुझी और उदास रहने लगी।चिड़चिड़ी भी हो गयी।कुमकुम की सास और नीरज दोनो कुमकुम की परेशानी समझते थे।उन्होंने कुमकुम को घर पर ही रहकर ऑनलाइन काम या कोचिंग पढ़ाने का सुझाव भी दिया।

चूंकि कुमकुम सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी इसलिए उसे कंप्यूटर संबंधित कार्यों में ही रुचि थी।नीरज के एक दोस्त का दिल्ली में ही कंप्यूटर इंस्टिट्यूट था।नीरज ने अपने दोस्त से बात की,सारी जानकारी ली और उसी के इंस्टिट्यूट में कुमकुम को बतौर प्रशिक्षक लगवा दिया।अब जितने समय बेटा स्कूल जाता उतने समय कुमकुम वहां इंस्टिट्यूट में कंप्यूटर का प्रशिक्षण देती।

नीरज और उसकी माँ कुमकुम के पीछे से सुबह का सारा काम संभाल लेते।इंस्टिट्यूट से आते हुए कुमकुम अपने बेटे को स्कूल से लेती हुई आ जाती।इस तरह कुमकुम को अपनी पसंद का काम भी मिल गया और उसका मन भी लग गया।एक दिन नीरज ने कुमकुम से पूछा "अब तो तुम खुश हो ना" कुमकुम ने जब उसी सवाल के बदले नीरज से पलटवार सवाल किया खुश तो हूँ लेकिन तुम्हें कैसे पता लगा कि मुझे क्या परेशानी थी?नीरज ने जो जवाब दिया उसे सुनकर कुमकुम की नज़रों में अपनी सास का मान और भी बढ़ गया।

"पगली,माँ ने मुझे सभी कुछ बताया और मुझे अपने दोस्त से बात करने को भी कहा।जब मैंने कहा कि कुमकुम के जाने के बाद घर कौन देखेगा तो उन्होंने सुबह के काम की सारी जिम्मेदारी खुद पर ले ली और मुझे यह भी बताया कि तुम रीमा से भी बढ़कर उन का ख्याल रखती हो इसलिए तुम्हें खुश रखना उनका भी फ़र्ज़ है।उन्हें यह भी पता है कि तुम करियर ओरिएंटेड लड़की हो।तुमने सिर्फ हमारे बेटे की वजह से अपनी जॉब छोड़ी।माँ और मेरे लिए पहले तुम्हारी खुशी मायने रखती है।तुम खुश रहोगी तभी तो हमारे बेटे का,माँ का,मेरा,अपना ख्याल ठीक से रख पाओगी।हमारे बेटे को एक अच्छी परवरिश दे पाओगी।कुमकुम के चेहरे पर अनायास ही एक मुस्कान आ गयी।मुस्कान देखकर नीरज भी बोल पड़ा

आप सभी को मेरा यह ब्लॉग कैसा लगा कृपया अपने विचार जरूर व्यक्त करें।

धन्यवाद!

गुंजन

  Never miss a story from us, get weekly updates in your inbox.