तोड़ नहीं पाओगे मुझे .... कितने भी संघर्ष करवा लो ... बिछा लो तुम कितने भी कांटे राहों में ... राहें कभी बदल न पाओगे मेरी .... तोड़ दो भले दिल मेरा .... कितनी भी बार ... नहीं तोड़ पाओगे तुम मेरे जीने की ललक.... मैं हूँ ....मैं जीऊँगी...मैं बढूँगी ....
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