पाँव जिन रास्ते पर जले,
हम हमेशा उन्हीं पर चले।
जितने नजदीक आते गए,
उतने बढते गए फासले।
हम से डरती है नाकामीया,
इतने बुलंद है हौसले।
हम सच को सच कहते रहे,
लोगों की वार सहते रहे।
सिर्फ दो -चार बूँदे गिरे......
लोग बरसात कहते रहे!!!
मातमी शक्ल में भीड़ थी;
लोग बारात कहते रहे।